महिलाओं का जीवन बहुत खूबसूरत है। बशर्ते उन्हें खुलकर जीने दिया जाए। यह उनके हित और हक़ दोनो के लिहाज़ से उचित है। जब दुनियां में ऐसा होता नहीं देखती हूं तो इस व्यवस्था को अपने लेखन में उतार देती हूं। मेरा हर वुमन केरेक्टर ज़िंदगी ख़ुद की शर्तों पर जीता है। – प्रीति शिनॉय
मज़बूत होने का मंत्र सिखाते हैं मेरे किरदार
…क्योंकि हर कदम एक नई जंग है।
श्रध्दा चौबे- प्रीति शिनॉय भारतीय लेखकों में एक स्थापित नाम है। उनकी कलमकारी का ऐसा प्रभाव है कि अदबी जगत से लेकर बाज़ार तक सभी जगह वे अव्वल हैं। यही वजह है कि वे फोर्ब्स इंडिया की 100 प्रभावशाली हस्तियों में से एक हैं। बंगलुरु निवासी प्रीति से हमने महिलाओं को मज़बूत बनाने को लेकर चर्चा की। उनके सृजन की रोशनी से सीखने की कोशिश की। प्रीति के लिखे वुमन केरेक्टर ऐसा करने में हमारी मदद करते हैं। वे कहती हैं- बगैर लड़े जीत हासिल नहीं होती। इसका आशय यह है कि हर कदम एक नई जंग है।
प्रीति आपके लिखे महिला किरदार बड़े मज़बूत होते हैं। लेकिन ऐसा असल जीवन में कैसे संभव है।
जब मैं महिलाओं को परेशान होता देखती हूं तो तड़प उठती हूं। यह देखकर बड़ा दुख होता है कि डिजिटल इरा में भी उसका भाग्य निर्धारण कोई दूसरा ही कर रहा है। मुझे कोफ़्त होती है ऐसी व्यवस्था पर। इसलिए मेरी किताबी दुनियां में महिलाएं कमज़ोर नहीं मज़बूत होती हैं। यह असल जीवन में भी संभव है। मगर उसका एक ही सूत्र है अगर मंज़िल पाना है तो खड़े होकर लड़ना पड़ेगा। …यानी बहादुर बनना होगा।
कौन-कौन से किरदार इस बात को प्रूव करते हैं
मेरी बुक ‘इट्स हेपीनेस फॉर अ रीज़न’ की नायिका 18 साल की लड़की है। वह शादी के पहले प्रेगनेंट हो जाती है। घर से लेकर बाहर तक सभी विरोध करते हैं। लेकिन वह मज़बूती से आगे बढ़ती है ओर बच्चे को जन्म देने का निर्णय लेती है। अपने फैसले में कई चुनौतियां सामने आती है,लेकिन वह सबका सामना बहादुरी से करती है। यहां बात नैतिकता की नहीं बल्कि उस क़दम की है जिसे बहादुरी से उठाया गया है।
दूसरी बुक ‘टी फॉर टू एंड पीस ऑफ केक’ एक मोटी और सामान्य रंग-रूप वाली महिला की कहानी है। उसका अफेयर एक ख़ूबसूरत पुरुष से हो जाता है। वह तो खुशी से दीवानी हो जाती है। यहां तक की अपना पैसा, पोजीशन सभी छोड़ उस युवक से शादी कर लेती है। आठ सालों बाद अचानक वह युवक उसे तलाक दे देता है। महिला के पैरों से तो ज़मीन खिसक जाती है। भावनात्मक रुप से धोखा खाने के बाद भी वह ख़ुद को तैयार करती है। और दोबारा जीवन जीने का साहस जुटाती है।
‘एक हाउसवाइफ की कहानी ‘सीक्रेट विश लिस्ट’ है। यह केरेक्टर पूरी तरह परिवार के प्रति समर्पित है। सुबह से रात तक का समय सिर्फ सबको ख़ुश रखने में ही गुज़र जाता है। इस जद्दोजहद में वह ़ख़ुद के लिए जीना ही भूल जाती है। ऐसे में उसका एक दोस्त उसे जीवन जीने की कला सिखाता है। वह हिम्मत से आगे बढ़ती है।
(आप देखेंगे, यह ऐसे वाक़ये है जो आम ज़िंदगी में घटते हैं। लेकिन हम सामना करने की बजाय स्वीकार करना सीख लेतें हैं। भारतीय महिलाओं में यह गुण अधिक पाया जाता है )
आप फायनेंशियल इंडिपेंडेसी यानी आर्थिक स्वतंत्रता की बात करती हैं
यह बहुत ज़रुरी है। देश में कोई भी महिला आर्थिक रूप से स्वतंत्र हुए बगैर कभी मज़बूत नहीं हो सकती। बेहतर जीवन के लिए महिलाओं का इमोशनल और फायनेंशियल तौर पर साउंड होना आवश्यक है। मैं लिखते वक़्त इन बातों का ख़ास ध्यान रखती हूं। यही वजह है कि होप और पॉज़िटिविटी मेरी राइटिंग का इम्पॉरटेन्ट एलीमेंट है।
आपको किरदारों की प्रेरणा कहां से मिलती है।
मेरे लेखन पर बचपन का बेहद असर है। कई शहरों में रहने का भी फ़ायदा हुआ। केरल, पांडिचेरी, बंगलुरू, चेन्नई, मुंबई शहर मेरी किताबों और किरदारों के केंद्र हैं।
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