जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा…
तुम भी वड़नगर से हो.. !!!
राष्ट्रप्रेम में छोड़ आए आयरलेंड की नौकरी
ग्रामीणों को राष्ट्र निर्माण की सीख दे रहा ..
..आईबीएम का पूर्व सॉफ्टवेअर इंजीनियर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आयरलेंड की यात्रा के दौरान वहां बसे भारतीय युवाओं से मिल रहे थे। इसी वक्त एक युवक से उन्होंने पूछा तुम कहां के रहने वाले हो.. युवक का जवाब था- बड़नगर। इस पर मोदी ने खुश होकर कहा- अच्छा तुम भी वड़नगर से हो..। दरअसल इस संवाद का रोचक पक्ष यह है कि युवक मध्यप्रदेश के बड़नगर की बात कह रहा था..जिसे मोदी गुजरात के अपने गृहनगर वड़नगर का निवासी होना समझ रहे थे।
तुझको पुकारे देश तेरा….आ अब लौट चलें !!
राजपाल सिंह राठौर के जीवन का यह यादगार संस्मरण है। जिस वक्त ये किस्सा घटा तब वे आयलेंड में आईबीएम कंपनी के लिए सॉफ्टवेअर इंजीनियर का काम देख रहे थे। राजपाल भारत के गांवों का सर्वांगीण विकास हो सके इसका लक्ष्य लेकर आईबीएम (आयरलेंड) की नौकरी छोड़ वापस भारत आ गए। एक साल से वे देश के गांवों में घूम-घूम कर युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि व्यवस्था को बदलने में जुटा यह युवा किसी संस्था या सरकार का प्रतिनिधि बन कर काम नहीं कर रहा। वे स्वयं के खर्च पर युवाओं को जागृत करने का अभियान चलाए हुए हैं।
“ जब देश में हर चीज राजनीति से प्रेरित है तो, ऐसे में राजनीति का शुद्ध होना सर्वाधिक आवश्यक है। राजनीति में जवाबदेह और राष्ट्र के प्रति समर्पित युवाओं की रुचि बढ़ाना भी उतना ही ज़रुरी है। ताकि ये देश अपनी पूर्ण क्षमता से आगे बढ़ सके ” – राजपाल सिंह राठौर
मिलिए राजपाल राठौर से
राजपाल सिंह राठौर सिर्फ 27 साल के हैं। वे मध्यप्रदेश के बड़नगर के रहने वाले हैं। लगभग 3 लाख आबादी वाला बड़नगर उज्जैन जिले की तहसील है। यह राष्ट्रकवि प्रदीप (गीतकार) की जन्मस्थली भी है।
व्यवस्था को बदलने में जुटे राजपाल स्वयं के खर्च पर युवाओं को जागृत करने का अभियान चलाए हुए हैं।
राजपाल कहते हैं- गांव के सर्वागीण विकास मे युवा ही प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए वे युवाओं को राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझाने में जुटे हैं।
बचपन से ही देशप्रेमी-
किसान के बेटे राजपाल को बचपन से ही देशप्रेम की शिक्षा मिली। बचपन में एक बार वे रेलवे प्लेटफॉर्म पर सुविधा घर में अधिक पैसे लेने पर विरोध जता चुके हैं।
वे कहते हैं कि सुविधा घर संचालक तयशुदा पैसे से अधिक वसूलते थे। । उन्होंने देने से मना किया। मामला स्टेशन मास्टर के पास पहुंचा। नन्हें राजपाल ने जब असलियत बताई तो मास्टर ने संचालक को फटकार लगाई।
पाकिस्तानियों को दे चुके हैं करारा जवाब
आयरलेंड के अनुभव साझा करते हुए राजपाल कहते हैं कि, पाकिस्तान वर्ल्ड मीडिया में अटेंशन पाने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ता। आयरलेंड में पाकिस्तानियों का संख्या बहुत है। वे अक्सर भारत और सेना विरोधी काम नियमित रुप से करते हैं। पाकिस्तानी सरकार इसमें खुलकर मदद करती है ।
उन्होंने इससे निपटने के लिए अनिवासी भारतीयों का एक फोरम गठित किया। सभी को समझाया कि वे पाकिस्तानी दुकानदारों से खरीदारी ना करें।
इस समझाईश का असर हुआ जिसने पाकिस्तानी दुकानदारों को आर्थिक क्षति पहुंचाई। साल 2015 में इंडियन फ्रेंडशिप सोसायटी ने उन्हें भारत गौरव अवॉर्ड प्रदान किया।
यह है वजह –
राजपाल ने ‘चायपानी’ को बताया कि वे गांवों में इसलिए काम करना चाहते हैं क्योंकि ग्रामीण युवाओं को मार्गदर्शन के अभाव में भटकते देखा है। वे अपने ज्ञान का फायदा बांटना चाहते हैं। इसलिए स्वयं आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने पर उन्होंने वतन लौटकर अपने लोगों के उत्थान के लिए काम करने का मन बनाया।
राजपाल प्रदेश के गांवों में घूम कर युवाओं को रोजगार, बालिकाओं को शिक्षा और शराबबंदी सहित अन्य सामाजिक कुरीतियों पर जागरुकता फैला रहे है। अपनी बातें समझाने के लिए वे ग्रामसभाएं आयोजित करते हैं।
8 महिने में 3 कॉन्कलेव
मध्यप्रदेश के 25 कॉलेज और स्कूल में राष्ट्रनिर्माण में युवाओं की भागीदारी,क्रिऐटिविटी एंड स्टार्ट अप इकोसिस्टम जैसे विषयों पर युवाओं का मार्गदर्शन
सेंट्रल इंडिया में इंटेलेक्चुअल सोसायटी को विकास में भागीदार बनाने के लिए 3 यंग लीडर्स कॉन्कलेव पिछले 8 महिने में आयोजित करवाए
इंदौर,ग्वालियर और भोपाल में आयोजित इस कॉन्क्लेव मंे 5000 से अधिक युवा शामिल हुए।
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