थोड़ा क्लीशे है, लेकिन आप सभी को गणतंत्र-दिवस की शुभकामनायें, वो भी हमारी पूरी टीम की तरफ से। इस लेख में हम आपको आज के दिन का महत्व बता रहे हैं।
अगर आप यह लेख 26 जनवरी को पढ़ रहे हैं तो इस बात की बहुत उम्मीद है कि आपके कानों में देशभक्ति के गानों की धुनें पहुंच रही होंगी। हम आज के दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं और हम इस बात को समझते हैं कि भारत, महज़ एक देश नहीं, एक सोच है और हमारे गणतंत्र होने के काफी मायने हैं।
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हम इस दिन को जानते तो हैं, शायद गणतंत्र होने का थोड़ा बहुत मतलब भी समझते हों, लेकिन क्या हम आज के दिन के इतिहास को समझते हैं? अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं। लेकिन उससे पहले आइये गणतंत्र होने का असल मतलब समझते हैं।
किसी देश को गणतंत्र तब कहा जाता है जब उस देश की सत्ता लोगों या प्रतिनिधियों के पास होती है, और जहाँ चुनाव संपन्न होते हैं। गणराज्यों में ऐसे राष्ट्रपति होते हैं, जिनका राजा या रानी के विपरीत, मनोनयन होता है। एक गणतंत्र देश में ऐसी सरकार होती है जिसमें सर्वोच्च सत्ता निहित होती है, और यह सरकार नागरिकों के सर्वाधिक वोट के आधार पर तय होती है।
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सरकार के काम काज में निर्वाचित/गैर निर्वाचित अधिकारी शामिल होते हैं और उनके द्वारा जिम्मेदार प्रतिनिधियों और कानून के अनुसार देश में शासन किया जाता है। गणतंत्र का आधार बदलाव है, अर्थात सत्ता में परिवर्तन के लिए चुनाव कराये जाते हैं (हालाँकि जरूरी नहीं की जनता के वोट के जरिये हर बार सरकार में बदलव ही हो, लेकिन चुनाव नियमित अंतराल पर होना गणतंत्र के लिए आवश्यक है)।
भारत में 26 जनवरी का महत्व?
गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी 1950 को मनाया जाता है, यह वो दिन है जिस दिन भारत का संविधान पुरे देश में लागू हुआ। और इसी के साथ भारत सरकार अधिनियम (1935) को देश के शासन दस्तावेज के रूप में प्रतिस्थापित किया गया (सविधान के द्वारा)। भारत की विविधता, जातीय समुदायों, धर्मों और भाषाओं की विविधता को ध्यान में रखते हुए हमारे संविधान का गठन किया गया था। इस प्रकार, संविधान को अपनाने के साथ, भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य (या गणतंत्र) बन गया।
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26 जनवरी ही क्यों?
15 अगस्त, 1947 को आजादी के तुरंत बाद, 28 अगस्त 1947 को एक मसौदा समिति (ड्राफ्टिंग कमेटी) नियुक्त की गई और उन्हें एक स्थायी संविधान का मसौदा तैयार करने का काम सौंपा गया। अर्थात उनसे संविधान का निर्माण करने को कहा गया, जो संविधान आज अस्तित्व में है, वो इसी समिति की देन है। डॉ. बी. आर. अंबेडकर को इसके अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
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संविधान के निर्माण में कुल 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे। और एक बार जब हमारा संविधान पूरी तरह से तैयार हो गया तो संविधान को भारतीय संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया। लेकिन यह संविधान 26 जनवरी, 1950 तक लागू नहीं किया गया था (हालाँकि संविधान के कुछ प्राविधान को उसी दिन से लागू कर दिया गया था)।
दरअसल 26 जनवरी की तारीख का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी ऐतिहासिक महत्व रहा है। गणतंत्र दिवस के लिए तारीख के रूप में 26 जनवरी को इसलिए चुना गया था, क्योंकि वर्ष 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ‘पूर्ण’ स्वतंत्रता (पूर्ण स्वराज) को अपनी मांग के रूप में घोषित किया था। यह मांग ब्रिटिश के हाथों से भारत की सत्ता को अपने हाथ में लेने का आधिकारिक एलान था।
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इस तारिख को अगले 17 वर्षों तक ‘पूर्ण स्वराज’ दिवस के रूप में मनाया गया। और अंततः जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, तब, अंग्रेजों ने आजादी की तिथि 15 अगस्त निर्धारित की। इसलिए, जब संविधान आखिरकार बन कर पूरा हो गया, तो दस्तावेज़ के निर्माताओं ने इसे राष्ट्रीय गौरव से जुड़े दिन के रूप में मनाना जरूरी समझा। उनके पास उपलब्ध सबसे अच्छा विकल्प ‘पूर्ण स्वराज’ दिवस था, जो कि 26 जनवरी है।
इसको किस प्रकार मनाया जाता है?
गणतंत्र दिवस को संविधान निर्माताओं के प्रयासों के सम्मान के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने संवैधानिक लोकतंत्र में भारत के सुचारू परिवर्तन को सुनिश्चित किया। इस दिन को, जब दुनिया में भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया गया था, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कई कार्यक्रमों के आयोजन के जरिये उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
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इन घटनाओं में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक हफ्ते के लिए सरकारी इमारतों को रौशन किया जाता है, राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक एक भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव में सशस्त्र बलों के तीनों विंग शामिल होते हैं, आदिवासी और लोक समूहों द्वारा प्रदर्शन किए जाते हैं और वे अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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